अभी हाल ही में ख़त्म हुए ओलिंपिक खेलों में नीरज चोपड़ा ने भारत के लिए जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर हिंदुस्तान का तिंरगा लहराया। भारत को एक मात्र गोल्ड मेडल नीरज ने ही दिलाया है।
जापान की राजधानी टोकियो में हो रहे ओलम्पिक खेलो में कई युवा खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से पूरी दुनिया को प्रभावित किया तो कई खिलाड़ियों को निराशा भी झेलनी पड़ी। हर खिलाडी का अपना सपना होता है की वह अपने देश के लिए कुछ करे और बात करे ओलंपिक्स खेलो की तो हर खिलाडी की चाहत होती है की वह अपने देश के लिए कोई न कोई मैडल जीते। और इस सपने को भारत के लिए पूरा किया है नीरज चोपड़ा ने। भारत की ओर से नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर हिंदुस्तान का परचम लहराया है। भारत को इकलौता गोल्ड मेडल नीरज ने ही दिलाया है।
गोल्ड मैडल जितने के बाद भी नहीं कर पायेगा पसंद की शादी
वहीं बात करें एक ओर खिलाडी की तो टोक्यो मे हो रहे इन ओलम्पिक खेलों मे आर्टम दोलगोपायट ने इजरायल के लिए जिमनास्टिक में स्वर्ण पदक जीता। तो उन्हें राष्ट्रीय नायक बोला गया और उनकी काफी सराहना की गई। लेकिन बात करें आर्टम की निजी जिंदगी की तो वे अपनी निजी जिंदगी में काफी परेशान हैं। वे एक लड़की से प्यार करते हैं और उसके साथ शादी करना चाहते हैं लेकिन उनका ये ख्वाब पूरा होना फिलहाल संभव नहीं हैं।
इजराइल का कानून बन गया प्यार में बाधा
दरअसल यूक्रेन में पैदा हुए इजराइली जिम्नास्ट दोलगोपायट आर्टम के पिता यहूदी हैं और मां यहूदी नहीं हैं। यहूदी धार्मिक कानूनों के अनुसार ‘हलाचा’ के तहत किसी को यहूदी तभी माना जाएगा जबकि उसकी मां यहूदी हो। पूरे मामले पर आर्टम की मां ने कहा कि इजरायल के रूढ़िवादी कानून के कारण उनके बेटे को यहूदी नहीं माना जाता है और उन्हें अपनी पसंद की लड़की से शादी करने की इजाजत नहीं मिलेगी। दोलगोपायट की मां ने कहा कि सरकार उनके बेटे को यह शादी करने की अनुमति नहीं देगी। पूर्व सोवियत संघ के देशों से लौटे हजारों लोगों को इस कानून की वजह से भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
दोलगोपायट आर्टम की मां के बयान के बाद ही बहस छिड़ी क्योंकि इजरायल के नियम के अनुसार जिसके भी दादा-दादी या नाना-नानी में कोई भी एक यहूदी होगा उसे ही इजराइली नागरिकता दी जाएगी। इजरायल को टोक्यो में एक ही गोल्ड मेडल मिला है और वो भी आर्टम ने ही दिलाया है।