महाभारत में षड़यंत्र रचने वाले शकुनी को आखिर में स्वर्ग क्यों मिला?

आज की इस पोस्ट में हजम आपको महाभारत में षड़यंत्र रचने वाले शकुनी के बारी में बताने वाले है| जैसे की महाभारत में सभी पात्री की अपनी भूमिका है सभी की अपनी अपनी कहानी है, वैसे ही शकुनी की भी एक कहानी है जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएगे| यदि इस पोस्ट को आप अंत तक पढेगे तो आपके मन में शकुनी के लिए बढ़ जाएगा, और यह भी पता चल जाएगा की इतने षड़यंत्र रचने में बावजूद भी शकुनी को स्वर्ग क्यों मिला?

तो य कहानी शुरू हुई थी गांधार से, गांधार के राजा सुबल थे वे शकुनी और गांधारी के पिता थे| राजा सुबल ने अपने राज्य में एक दिन एक यग्य करवाया उसमे उन्होंने बड़े बड़े ऋषि मुनियों को आमंत्रित किया वह पर पर एक ऋषि मुनि ने राजा सुबल को गांधी के बारे में बताया की उनकी बेटी की किस्मत में एक दोष है, जो की यह था की गांधारी का जिस किसी से भी विवाह होगा वह कुछ समय पश्चात ही मारा जाएगा| गांधारी उनके पिता को बहुत प्यारी थी, उनके पिता इस बात को लेकर बड़े चिंतित थे| राजा सुबल ने गांधारी के सीर से यह दोष हटाने के लिए गांधारी की शादी एक बकरे से करवाई उसके बाद उस बकरे को मार दिया गया| इससे गांधारी के सर से दश हट चूका था

कुछ समय बाद गांधारी का विवाह हस्तिनापुर के सम्राट ध्रितराष्ट्र से हुआ| राजा ध्रितराष्ट्र के लिए गांधारी ने अपने आप को भी अंधकार में धकेल दिया और अपनी आँखों पर सदेव क लिए पट्टी बाँध ली, यह बात शकुनी को बिलकुल पसंद नहीं आई| सब कुछ ठीक चल रहा था परन्तु कुछ समय बाद ध्रितराष्ट्र को गांधारी के पहले विवाह के बारे में पता चल गया| द्रित्राष्ट्र को ऐसा लगा की उनके साथ विश्वासघात हुआ है| ध्रितराष्ट्र अजेय राजा थे उन्हें इस बात पर बहुत क्रोध आया और सोचा की कोई उन्हें कैसे मुर्ख बना गया| इसके लिए धृतराष्ट्र ने राजा सुबल के पुरे 100 सदस्य के परिवार को काल कोटरी में दाल दिया और यह आदेश दिया की पुरे परिवार को रोज केवल एक मुट्ठी अन्न खाने को दिया जाए| यह सजा इसीलिए दी गयी थी ताकि राजा सुबल का पूरा परिवार नष्ट होजाए|

राजा सुबल को लगने लगा की उनका कुल ख़तम ना हो जाए क्योकि उन्हें उनके आकरी दिन नज्दिकं आने लगे थे , और उन्होंने सोचा कोई एक व्यक्ति जो सबसे बुद्धिमान है उसे पुरे परिवार का बदला लेने के लिए जीवित रहना होगा| इसके लिए उन्होंने उनके परिवार से सभी सदस्यों को एक हड्डी दी और उसमे से एक धागा एक तरफ से दूसरी तरफ निकलने को कहा इसमें सब विफल रहे, लेकिन शकुनी ने यह कर दिखाया उन्होंने एक तरफ चीटी को धागे से बाँधा और दूसरी और अन्न का दाना रखा, चीटी उसका पीछा करते हुए हाड्डी के दूसरी और चली गयी| इस तरह शकुनी को रोज अन्न मिलता| शकुनी ने अपने परिवार के सभी सदस्यों को अपनी आँखों से मरते देखा|

राजा सुबल ने अपने अंतिम वक़्त में धृतराष्ट्र से शकुनी को आजाद करने की अंतिम इच्छा प्रकट की और धृतराष्ट्र ने शकुनी को आज़ाद करदिया| और यह धृतराष्ट्र की सबसे बड़ी भूल मानी गयी| शकुनी के कारण ही कौरवो का पूरा कुल समाप्त हुआ क्यों शकुनी ने ही कौरवो को महाभारत के युद्ध में धकेला था | और इस प्रकार शकुनी का बदला पूरा हुआ| इसी कारण से शकुनी को स्वर्ग प्राप्त हुआ क्योकि उसने उसके परिवार का बदला लिया| शकुनी का मांदरी भी बना हुआ है केरल में|

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