आपने कोर्ट में रेप के कई मामले देखे है, लेकिन आज छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रे*प के मामले में एक फैसला सुनाया है। इस फेसले में पति को रे*प का आरोपी बनाया गया था। लेकिन कोर्ट ने उसे बरी कर दिया है। देखिये पूरा मामला क्या है।
कोर्ट ने रे*प के मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला दिया है, जिसमे पति को गुरुवार को कोर्ट ने रे*प के आरोप से बरी कर दिया। इस फैसले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा कहा गया की कानूनी रूप से शादी कर चुके दो लोगों के बीच यौ*न संबंध बनाने में भले ही जबरदस्ती की गई हो, लेकिन उसे रे*प नहीं माना जा सकता है। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि हालांकि पत्नी की उम्र 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए। यदि इससे ऊपर है तो यह रे*प की श्रेणी में नहीं आता है।
एक मामले में पति पर पत्नी ने आरोप तय किए हैं, जिसमें पत्नी ने पति द्वारा उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य करने का आरोप लगाया था। लेकिन इस पुरे मामले की जाँच के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस एनके चन्द्रवंशी की कोर्ट ने यह फैसला दिया है। इस मामले में पीड़िता महिला ने अपने पति और सास-ससुर पर दहेज की मांग करने और घरेलू हिंसा के आरोप लगाए थे, इसके अलावा महिला ने आरोप लगाया था कि उसकी ओर से विरोध किए जाने के बाद भी उसका पति उससे जबरन अप्राकृतिक यौ*न संबंध बनाता है।
जबरन ही सही लेकिन ऐसे संबंध को रे*प नहीं कहा जा सकता
कोर्ट में सुनवाई करते हुए जस्टिस एनके चंद्रवंशी ने कहा, ‘से-क्शुअल इंटरकोर्स या फिर पुरुष की ओर से ऐसी कोई क्रिया रेप नहीं कहलाएगी, बशर्ते पत्नी की उम्र 18 साल से अधिक हो’ क्युकी इसमें शिकायतकर्ता महिला आरोपी शख्स की वैध रूप से पत्नी है। इसलिए इसमें पति के द्वारा उससे यौ-न संबंध बनाया जाने को रेप नहीं कहा जा सकता है। भले ही यह जबरन या फिर उसकी उसकी मर्जी के बगैर ही किया गया हो।
इस मामले में अदालत ने पति को धारा 376 रे*प के आरोप से बरी कर दिया है। लेकिन उस पर अभी अप्राकृतिक संबंध बनाने, दहेज उत्पीड़न के आरोपों के तहत केस चल रहा है।