घरवालों ने 7 साल की उम्र में जबरन कराई थी शादी, अब 12 साल बाद ऐसे आजाद हुई “बालिका वधू”

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बाल विवाह को हमारे समाज में एक बुराई ही मना जाता है। लेकिन अभी भी कुछ गांव और कुछ जगह है ऐसी है जहा बालविवाह जैसी कुप्रथाएं अभी भी जिंदा है। भीलवाड़ा में रहने वाली एक लड़की जिसके बारे में हम बात कर रहे इसका नाम है मानसी। मानसी को अपने बाल विवाह का खामियाजा 12 साल तक भुगतना पड़ा जिसके चलते बालविवाह के बाद होने वाली रस्म “गौना” (विवाह की समाप्ति से जुड़ा एक समारोह) के लिए समाज और गांव वालो दुवारा काफी दबाउ बनाया जाता था।

राजस्थान के भीलवाड़ा की रहने वाली एक 19 वर्षीय लड़की को अपने बालविवाह के बंधन से निकलने के लिए भीलवाड़ा में फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। मानसी से अपने बालविवाह को रद्द करने के लिए याचिका लगाई। परिवार न्यायालय के न्यायाधीश के तोर पर हरिवल्लभ खत्री ने मानसी की दुर्दशा को देखकर इस केस से छुटकारा दिलाते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

Mansi bhilwara news

मानसी मूल रूप से राजस्थान की भीलवाड़ा की निवासी है। मानसी की शादी 7 वर्ष की उम्र में बनड़ा तहसील के एक दूल्हे से हुई थी। करीब
12 साल तक इस बाल विवाह में रहते हुए उन्हें गौना करने के लिए समाज और गांव के लोग का दबाउ सहन करना पड़ा। कितनी बार परिवार को मरने की धमकी भी दी जाती थी। ऐसी बीच मानसी की मुलाकात डॉ. कृति भारती से हुई जो की सारथी ट्रस्ट के माध्यम से चलाये जा रहे अभियान से जुडी थी यह अभियान बाल विवाह जैसी कुप्रथा के लिए चलाया जा रहा था।

डॉ. कृति इसी साल जोधपुर से भीलवाड़ा आई थीं और इसी साल मार्च में मानसी के बाल विवाह रद्द करने का मामला फैमिली कोर्ट में दायर किया था। डॉ. कृति भारती मानसी के साथ भीलवाड़ा के फैमिली कोर्ट में पेश हुईं और कोर्ट को बाल विवाह से जुड़े तथ्यों से अवगत कराया।

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फॅमिली कोर्ट के जज हरिवल्लभ खत्री ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए बालविवाह को रद्द किया उन्होंने बताया की बालविवाह किसी भी बच्चे के वर्त्तमान और भविष्य को ख़तम कर देता है। मानसी ने बताया, डॉ. कृति भारती दीदी की मदद से मुझे बाल विवाह के वनवास से मुक्ति मिली है। मैं बीए सेकेंड ईयर की पढ़ाई कर रही हूं और अब मैं आगे की पढ़ाई कर टीचर बनना चाहती हूं।

कृति भारती-पुनर्वास मनोवैज्ञानिक, प्रबंध न्यासी, सारथी ट्रस्ट, जोधपुर ने कहा, ‘फैमिली कोर्ट भीलवाड़ा ने मानसी के बाल विवाह को रद्द करने का ऐतिहासिक फैसला दिया। माननीय न्यायाधीश हरिवल्लभ खत्री सर ने बाल विवाह के मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाई और शादी को रद्द कर दिया। अब हम बालिका वधू मानसी के सर्वोत्तम पुनर्वास के लिए प्रयासरत है। ‘

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