हम सभी ने गांधी जी के तीन बंदर के बारे में कभी ना कभी जरुर सुना है। आज यह फेमस कहावत बन चुके हैं। इन बंदरो को आज महात्मा गांधी के तीन विचारों के रूप में अर्शाया जाता है। जिनका उद्देश्य होता है की, हर व्यक्ति को बुराई से दूर रहना चाहिए। न बुरा देखा जाए, न बुरा कहा जाए और न बुरा सुना जाए। इन तीन बातो को यह बंदर दर्शाते है।
इस तरह गांधी जी को मिले यह तीन बंदर
इन बंदरो के उद्देशो को तो हम जानते है, लेकिन इनके बीच एक दिलचस्प किस्से को बताया गया है। माना जाता है कि बापू के यह तीन बंदर चीन से आए थे। जिसमे एक प्रतिनिधिमंडल गांधी जी से मिलने आया, मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल ने गांधी जी को भेंट स्वरूप तीन बंदरों को दिया था।
गांधी जी इसे देखकर काफी खुश हुए। उन्होंने इसे अपने पास जिंदगी भर संभाल कर रखा। बंदरो को देखकर खुश हुए थे। जिसके बाद इन तीन बंदर को उनके नाम के साथ हमेशा के लिए जोड़ दिया गया। आपको बता दे की गांधी जी के तीन बंदर को अलग – अलग नाम से जाना जाता है।
मिजारू बंदर : पहले बंदर को मिजारु बंदर कहा जाता था, जो दोनों हाथों से अपनी दोनों आंखें बंद रखा यह बंदर बुरा न देखने का संदेश देता है।
किकाजारू बंद : तीसरा बंदर अपने दोनों हाथों से दोनों कानों को बंद रखा यह बंदर बुरा न सुनने की बात कहता है।
इवाजारू बंदर : उसके बाद तीसरा बंदर अपने दोनों हाथों से अपना मुंह बंद करने वाले बंदर का संदेश बुरा न बोलने से जुड़ा है।
बुद्धिमान बंदरों का जापान से नाता
यह तीनो बंदरो का नाता जापानी संस्कृति में शिंटो से माना जाता है। यहा इस संप्रदाय द्वारा काफी सम्मान दिया जाता है। कहा जाता है कि ये बंदर चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस के थे और आठवीं शताब्दी में ये चीन से जापान पहुंचे। उस वक्त जापान में शिंटो संप्रदाय का बोलबाला था। इन्हें ”बुद्धिमान बंदर” माना जाता है और इन्हें यूनेस्को ने अपनी वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में भी इन बंदरो को शामिल किया है।